दुखनी चमार के दुख हजार,
किनका सुनाउ, वयस्त छै
संसार।
मधेसमे घर छै, नइहर बिहार
घरके टाट टुटल, बडेरी ओलार,
खानपिन आधापेट, पहिरन
गवांर,
जुत्ता बनबैछै, बेचैछै
पेटार,
बेटा ब्लैकिया, साईं छै
कतार,
किनका सुनाउ, वयस्त छै
संसार।
घर अंहार, अंगना अंहार
लालटेन किनलौं, ओहो बेकार
कहां करु नोकरी, कि करु
व्यपार
शलहेश पुजली, नै सुनलखिन पुकार
नै सुने लोग, नै सनैय
सरकार,
किनका सुनाउ, आखिर वयस्त छै
संसार।
(Y)
ReplyDeleteVery Nice 😊
ReplyDeleteHeart Touching !
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